आज जब समस्त देश कोरोना के कहर का सामना कर रहा है और विभिन्न राज्यों में ऑक्सीजन के अभाव में लोगों की जान जाने की खबरें मन को आहत कर रही हैं, ऐसे में सबसे अधिक जरूरी है कि हम वास्तविक कारणों पर गौर करें। यदि समय रहते हम प्रकृति के मर्म को समझते, तो शायद आज हालात इतने पीड़ादायी नहीं होते।
सोचिए पर्यावरण, वृक्षों, वन, उपवन आदि से मिलने वाले स्वच्छ हवा, जो हमारी रोजमर्रा कि ऑक्सीजन का आधार है..क्या हम कभी उसके संरक्षण पर ध्यान दे पाए हैं?
शायद नहीं, पर्यावरण संरक्षण का विषय हम सभी के लिए जबानी बनकर रह गया, सरकारों के लिए कागजों में और आम जनता के लिए दिखावे में पर्यावरण को संरक्षित किया जाता रहा, लेकिन आज जब कोरोना का संकट हम सबके सामने खड़ा है तो कहीं न कहीं हम सभी को इसने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि प्रकृति कि गोद हमारे लिए सबसे सुरक्षित स्थान है। कुदरत के सान्निध्य से हम मजबूत होते हैं और हमें अपने इम्यूनिटी लेवल को बढ़ाने के लिए दवाइयों आदि कि जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि कुदरत ने वृक्षों के रूप में हमें बहुत बड़ा उपहार दिया है।
अभी भी देर नहीं हुई है, आइए इस उपहार को संरक्षित करें, आने वाली पीढ़ी के लिए इसका संचय करके एक मिसाल कायम करें। बहुत अधिक नहीं तो कोशिश करें अपने जन्मदिवस या किसी खास उत्सव पर पर एक वृक्ष जरूर रोपें। यकीन मानें आपके इन छोटे छोटे प्रयासों से न केवल हम व्यक्तिगत तौर पर मजबूत बनेंगे बल्कि एक राष्ट्र के रूप में भी हमारी प्रगति को संबल मिलेगा।
नेहा सिंह
राष्ट्रीय अध्यक्ष
(भारतीय युवा एकता शक्ति पार्टी)